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Sunday 29 May 2011

नयी सोच

में ने बाइबल को सरहाया ,कुरान को इज्जत बक्शी फिरे मेरी रामायण पर हाअला क्यों है ?
तुमने युशु की प्राथना की ,राम की पूजा की है ? फिर इतना बेगाना मेरा अल्लह क्यों है ?
तुमने अपने धर्म ग्रंथो में कही पड़ा है मरो - काटो मेरा मजहब भी कहता है इन्सान को मत बाटो?
घर जलने पर हिन्दू -मुस्लिम क्या अलग अलग तरीके से रोते है बेटे के मरने पर क्या एन के असू अलग अलग होते है ?
जब दर्द हमारा एक है ,और अहसास हमारा एक है फिर हमें बाटता क्यों पंडित ,मुल्ला क्यों है ?
क्या मजमूद का कारखाना मोहन के बिना चल सकता है ?
,जमुना के खेत में भी जुम्मन का पसीना भाता है,
रजिया राधिका के संग सावन में झोला करती है

हरिया की ग्या हामिद की बकरी के संग चरति है,, जब बिना एकता नहीं गुजरा ,बहुत जरुरी है भाई चारा फिरे अर्जुन का दुसमन अब्दुला क्यों है ?

तुमने हमको काफ़िर कहा दिया ,हमने तुमको शेतान बोल दिया नफरत की एस रक्त नदी में पगाम्बेर भगवन बह गए
माँ के गर्भा से में जन्मी हु ,तुम क्या कही और से आये हो ? अंत में सब मिलते मिटटी में ,तुम क्या अमृत पी के आया हो ?

आने की जब एक रहा है ,और जाने की भी एक फिर अपना अलग अलग इश्वर अल्लह क्यों है
में ने बाइबल को सरहाया ,कुरान को इज्जत बक्शी फिरे मेरी रामायण पर हाअला क्यों है ? 
तुमने युशु की प्राथना की ,राम की पूजा की है ? फिर इतना बेगाना मेरा अल्लह क्यों है ?


तुमने अपने धर्म ग्रंथो में कही पड़ा है मरो - काटो मेरा मजहब भी कहता है इन्सान को मत बाटो?
घर जलने पर हिन्दू -मुस्लिम क्या अलग अलग तरीके से रोते है बेटे के मरने पर क्या एन के असू अलग अलग होते है ?
जब दर्द हमारा एक है ,और अहसास हमारा एक है फिर हमें बाटता क्यों पंडित ,मुल्ला क्यों है ?

 
क्या मजमूद का कारखाना मोहन के बिना चल सकता है ? 
,जमुना के खेत में भी जुम्मन का पसीना भाता है,


रजिया राधिका के संग सावन में झोला करती है
हरिया की ग्या हामिद की बकरी के संग चरति है





जब बिना एकता नहीं गुजरा ,बहुत जरुरी है भाई चारा फिरे अर्जुन का दुसमन अब्दुला क्यों है ?

तुमने हमको काफ़िर कहा दिया ,हमने तुमको शेतान बोल दिया नफरत की एस रक्त नदी में पगाम्बेर भगवन बह गए
माँ के गर्भा से में जन्मी हु ,तुम क्या कही और से आये हो ? अंत में सब मिलते मिटटी में ,तुम क्या अमृत पी के आया हो ?

आने की जब एक रहा है ,और जाने की भी एक फिर अपना अलग अलग इश्वर अल्लह क्यों है ?

Saturday 28 May 2011

New age rhyme.


Chattin chattin...
No mamma.
with new grls/boys....
No mamma
telling lies......
No mamma
open ur facebook account...
ha..ha..ha..!

व्यर्थ जीवन

किसी के लिए कभी कुछ नहीं किया,
किसी के आंसू नहीं पोछे, किसी का दुःख नहीं बांटा,
केवल दौड़ता रहा, अपनी चाहतों, अपने सपनो को पूरा करने के लिए,
भागते- भागते पता ही नहीं चला, की कब माथे पर बल पड़ गए,
और शरीर कांपने लगा, लकीरें खिंच आयी थी चेहरे पर,
...आँखें गहरी हो गयीं, और एक शून्य सा पसर गया,
तब लगा एक जीवन व्यर्थ ही बीत गया

नेता और चोर

उस बाग के बेंच पर हम तीन थे - एक तरफ एक बुजुर्ग अखबार पढ़ रहे थे, दूसरी तरफ मैं और हम दोनों के बीच में एक अधेड़। तीनों अजनबी। अचानक बुजुर्ग अखबार पटक कर खड़े हो गए, 'सब साले चोर हैं।' अधेड़ ने एतराज किया,'आपको ऐसा नहीं कहना चाहिए।' बुजुर्ग ने पूछा, 'क्या तुम नेता हो?' अधेड़ बोला, 'नहीं, मैं चोर हूँ।' बुजुर्ग ने 'चोर' से हाथ मिलायाः 'आएम सॉरी, दरअसल मैंने नेताओं के बारे में कहा।'

Thursday 26 May 2011

ईश्वर आज अवकाश पर है ना मन्दिर की घंटी बजाइये

ईश्वर आज अवकाश पर है ना मन्दिर की घंटी बजाइये,
जो बैठा है बूढा अकेला पार्क में , ...उसके साथ समय बिताइये ,
ईश्वर है पीड़ित परिवार के साथ, जो अस्पताल में परेशान है,
उस पीड़ित परिवार की मदद कर आइये ,
जो मर गया हो किसी के परिवार में कोई ,
उस परिवार को सांत्वना दे आइये ,
एक चौराहे पर खड़ा युवक काम की तलाश में ,
उसे रोजगार के अवसर दिलाइये ,
ईश्वर आज अवकाश पर है ना मन्दिर की घंटी बजाइये ,
ईश्वर है चाय कि दुकान पर उस अनाथ बच्चे के साथ ,
जो कप प्लेट धो रहा है , पाल सकते हैं, पढ़ा सकते हैं ,तो पढाइये,
एक बूढी ओरत है जो दर - दर भटक रही है,
एक अच्छा सा लिबास दिलाइये ,
हो सके तो नारी आश्रम छोड़ आईये ,
ईश्वर आज अवकाश पर है ,
ना मन्दिर की घंटी बजाइये .

क्यों होता है एसा .......................................सोचो और जवाब दो ,इस मासूम के सवाल का


एहसास

* जहा तरलता थी - मै डूबती चला गयी |
* जहा सरलता थी - मै झुकतइ चली गयी |
* संबंधो ने मुझे जहा से छुआ - मै वही से पिघलती चली गयी |
* सोचने को कोई काहे जो सोचे - पर यहाँ तो एक एहसास था - जो कभी हुआ, कभी न हुआ

Wednesday 25 May 2011

माता पिता और महबूब

महबूब को चाँद कहते हो कभी खुदा बताते हो
बुढे माँ - बाप के बारे में तेरा क्या ख्याल हैं.

तेरे गिरते हुए कदमो को जिन्होंने चलना सिखाया था
आज वो गिर रहे हैं तो तेरा क्या ख्याल हैं.
...
कभी माँ की लोरी सुनकर ही तुझे नींद आती थी
रात को माँ खांस रही हैं तेरा क्या ख्याल हैं.

निगाहे- नाज़ की तारीफ तो कभी हुस्न को सजदे
टूटे हुए बाप के चश्मे पर तेरा क्या ख्याल हैं.

किसी अन्जान के लिए पल में मरने की कसमे
तुझे जन्म देने वालों के लिए तेरा क्या ख्याल हैं .

तू भी चुलू भर पानी में जा डूब मर " साहिल "
खुद से पूछ की माँ-बाप लिए तेरा क्या ख्याल हैं

happy man day

अगर औरत पर हाथ उठाये तो ज़ालिम ,
औरत से पिट जाये तो बुजदिल ,
औरत को किसी के साथ देख कर लड़ाई करे तो जुलुस ,
चुप रहे तो बे -गैरत ,
घर से बाहर रहे तो आवारा ,
घर में रहे तो नाकारा ,
बचों को डांटे तो जालिम ,
न डांटे तो लापरवाह ,
औरत को नौकरी से रोके तो शक्की मिजाज़ ,
न रोके तो बीवी की कमाई खाने वाला ,
माँ की माने तो माँ का चमचा ,
बीवी की सुने तो जोरू का गुलाम ...
न जाने कब आएगा . . . . . .

" HAPPY MEN'S DAY

Friday 20 May 2011

जिंदगी और मौत

किसी शायर ने मौत को क्या खूब कहा :- ज़िन्दगी में 2 मिनट कोई मेरे पास न बैठा , आज सब मेरे पास बैठे जा रहे थे , कोई तोहफा न मिला आज तक मुझे और आज फूल ही फूल दिए जा रहे थे , तरस गया में किसी के हाथ से दिए वो एक कप ...दे को और आज नए नए कपडे ओधाये जा रहे थे , दो कदम साथ न चलने को तेयार था कोई , और आज काफिला बनाकर जा रहे थे .. आज पता चला की ''मौत '' इतनी हसीं होती है , कम्भाक्त "हम " तो युही जिए जा रहे थे