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Thursday 26 May 2011

एहसास

* जहा तरलता थी - मै डूबती चला गयी |
* जहा सरलता थी - मै झुकतइ चली गयी |
* संबंधो ने मुझे जहा से छुआ - मै वही से पिघलती चली गयी |
* सोचने को कोई काहे जो सोचे - पर यहाँ तो एक एहसास था - जो कभी हुआ, कभी न हुआ

6 comments:

  1. कम शब्‍दों में काफी गहरी बातें......

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  2. वाह क्या बात है लहर जी....चार लाईनों में ज़िन्दगी के माएने बता दिये...अच्छी शुरूवात....

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  3. ये कमेन्ट में मेरी फोटो क्यों नहीं अति

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  4. gagar me sagr.......
    sanjay jain
    shikohabad
    (u.p.)

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  5. aapki tasveer aapke laikhan mai hi jhalkti hai
    sanjay jain.skb.

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  6. WAAKAI BADI SAHAJTA SE AAPNE IN SHABDON KE MAYNE SAMJHA DIYE,BAHUT SUNDAR BHAVABHIVYAKTI HAI AAPKI,MAIN TO AAPKI LEKHAN KALA KA KAAYAL HO GAYA!

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