किसी शायर ने मौत को क्या खूब कहा :- ज़िन्दगी में 2 मिनट कोई मेरे पास न बैठा , आज सब मेरे पास बैठे जा रहे थे , कोई तोहफा न मिला आज तक मुझे और आज फूल ही फूल दिए जा रहे थे , तरस गया में किसी के हाथ से दिए वो एक कप ...दे को और आज नए नए कपडे ओधाये जा रहे थे , दो कदम साथ न चलने को तेयार था कोई , और आज काफिला बनाकर जा रहे थे .. आज पता चला की ''मौत '' इतनी हसीं होती है , कम्भाक्त "हम " तो युही जिए जा रहे थे
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* जहा तरलता थी - मै डूबती चला गयी | * जहा सरलता थी - मै झुकतइ चली गयी | * संबंधो ने मुझे जहा से छुआ - मै वही से पिघलती चली गयी | * सोचने ...
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में ने बाइबल को सरहाया ,कुरान को इज्जत बक्शी फिरे मेरी रामायण पर हाअला क्यों है ? तुमने युशु की प्राथना की ,राम क...
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Audio Recording on Thursday night by Lehar Jain
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उस बाग के बेंच पर हम तीन थे - एक तरफ एक बुजुर्ग अखबार पढ़ रहे थे, दूसरी तरफ मैं और हम दोनों के बीच में एक अधेड़। तीनों अजनबी। अचानक बुजुर्ग अख...
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