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Friday 20 May 2011

जिंदगी और मौत

किसी शायर ने मौत को क्या खूब कहा :- ज़िन्दगी में 2 मिनट कोई मेरे पास न बैठा , आज सब मेरे पास बैठे जा रहे थे , कोई तोहफा न मिला आज तक मुझे और आज फूल ही फूल दिए जा रहे थे , तरस गया में किसी के हाथ से दिए वो एक कप ...दे को और आज नए नए कपडे ओधाये जा रहे थे , दो कदम साथ न चलने को तेयार था कोई , और आज काफिला बनाकर जा रहे थे .. आज पता चला की ''मौत '' इतनी हसीं होती है , कम्भाक्त "हम " तो युही जिए जा रहे थे

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