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Thursday 26 May 2011

ईश्वर आज अवकाश पर है ना मन्दिर की घंटी बजाइये

ईश्वर आज अवकाश पर है ना मन्दिर की घंटी बजाइये,
जो बैठा है बूढा अकेला पार्क में , ...उसके साथ समय बिताइये ,
ईश्वर है पीड़ित परिवार के साथ, जो अस्पताल में परेशान है,
उस पीड़ित परिवार की मदद कर आइये ,
जो मर गया हो किसी के परिवार में कोई ,
उस परिवार को सांत्वना दे आइये ,
एक चौराहे पर खड़ा युवक काम की तलाश में ,
उसे रोजगार के अवसर दिलाइये ,
ईश्वर आज अवकाश पर है ना मन्दिर की घंटी बजाइये ,
ईश्वर है चाय कि दुकान पर उस अनाथ बच्चे के साथ ,
जो कप प्लेट धो रहा है , पाल सकते हैं, पढ़ा सकते हैं ,तो पढाइये,
एक बूढी ओरत है जो दर - दर भटक रही है,
एक अच्छा सा लिबास दिलाइये ,
हो सके तो नारी आश्रम छोड़ आईये ,
ईश्वर आज अवकाश पर है ,
ना मन्दिर की घंटी बजाइये .

2 comments:

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  2. aapki yeh panktiyan padkar ye line yaad aa gaye...ki-: ghar se mandir hai bahut door
    chalo kisi pyase ko pani pilaya jaye..
    sanjay jain
    shikohabad(up)

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