* जहा तरलता थी - मै डूबती चला गयी |
* जहा सरलता थी - मै झुकतइ चली गयी |
* संबंधो ने मुझे जहा से छुआ - मै वही से पिघलती चली गयी |
* सोचने को कोई काहे जो सोचे - पर यहाँ तो एक एहसास था - जो कभी हुआ, कभी न हुआ
* जहा सरलता थी - मै झुकतइ चली गयी |
* संबंधो ने मुझे जहा से छुआ - मै वही से पिघलती चली गयी |
* सोचने को कोई काहे जो सोचे - पर यहाँ तो एक एहसास था - जो कभी हुआ, कभी न हुआ
कम शब्दों में काफी गहरी बातें......
ReplyDeleteवाह क्या बात है लहर जी....चार लाईनों में ज़िन्दगी के माएने बता दिये...अच्छी शुरूवात....
ReplyDeleteये कमेन्ट में मेरी फोटो क्यों नहीं अति
ReplyDeletegagar me sagr.......
ReplyDeletesanjay jain
shikohabad
(u.p.)
aapki tasveer aapke laikhan mai hi jhalkti hai
ReplyDeletesanjay jain.skb.
WAAKAI BADI SAHAJTA SE AAPNE IN SHABDON KE MAYNE SAMJHA DIYE,BAHUT SUNDAR BHAVABHIVYAKTI HAI AAPKI,MAIN TO AAPKI LEKHAN KALA KA KAAYAL HO GAYA!
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