Popular Posts
-
किसी शायर ने मौत को क्या खूब कहा :- ज़िन्दगी में 2 मिनट कोई मेरे पास न बैठा , आज सब मेरे पास बैठे जा रहे थे , कोई तोहफा न मिला आज तक मुझे औ...
-
वक़्त कुछ ऐसा हमारा चल रहा है बर्फ में जैसे शिकारा चल रहा है क्या कमाई है महीने की न पूछो ये समझ लो बस गुज़ारा चल रहा है ............... ...
-
महबूब को चाँद कहते हो कभी खुदा बताते हो बुढे माँ - बाप के बारे में तेरा क्या ख्याल हैं. तेरे गिरते हुए कदमो को जिन्होंने चलना सिखाया था ...
-
ईश्वर आज अवकाश पर है ना मन्दिर की घंटी बजाइये, जो बैठा है बूढा अकेला पार्क में , ...उसके साथ समय बिताइये , ईश्वर है पीड़ित परिवार के साथ, ...
-
* जहा तरलता थी - मै डूबती चला गयी | * जहा सरलता थी - मै झुकतइ चली गयी | * संबंधो ने मुझे जहा से छुआ - मै वही से पिघलती चली गयी | * सोचने ...
-
में ने बाइबल को सरहाया ,कुरान को इज्जत बक्शी फिरे मेरी रामायण पर हाअला क्यों है ? तुमने युशु की प्राथना की ,राम क...
-
Audio Recording on Thursday night by Lehar Jain
-
उस बाग के बेंच पर हम तीन थे - एक तरफ एक बुजुर्ग अखबार पढ़ रहे थे, दूसरी तरफ मैं और हम दोनों के बीच में एक अधेड़। तीनों अजनबी। अचानक बुजुर्ग अख...
-
देर रात काम खत्म करके जब पिता घर लौटा तो उसका 5 वर्षीय बेटा दरवाजे पर खड़ा इंतजार कर रहा था। उसके घर मंे घुसते ही बेटे ने पूछा -आप एक घंटे म...
लहर, आपको पहली बार यहाँ यहाँ ब्लॉग अगत पर देखा| स्वागत है आपका|
ReplyDeleteअब आगे आपको पढ़ते रहेंगे|
सही बात की आपने।
ReplyDeleteमाहौल सच में बदलाव का हो गया है।
are par font chhote karo
ReplyDeleteमुक्त सत्य: ज्ञान , धन और समाज के लिए ज्ञान का महत्त्व
http://nationalizm.blogspot.com/2011/09/blog-post.html