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Monday 12 September 2011

क्षमा कर दो

मिली नव मास.गर्माहट गर्भ की..क्षमा कर दो
माँ का दूध ममता का अंचल..क्षमा कर दो
आशीष पिता का वरद हस्त ..क्षमा कर दो
बहना के गुडिया और कपडे..क्षमा कर दो
... भैया को कमी हुई खानदाने में..क्षमा कर दो
पीहर की देहरी पूजी. हुई परायी..क्षमा कर दो
सर से सरकते पल्लू को सम्हाला..क्षमा कर दो
सुखद एहसास दायित्व निर्वाह ..क्षमा कर दो
रिश्तों का समझा मूल्य और दिया मान..क्षमा कर दो
मुखर शैया धृष्ट काया असंतुष्ट नींद ..क्षमा कर दो
संतानों को उचित परवरिश ,दिए संस्कार..क्षमा कर दो
सम्बल बानी सुख दुःख में पी की ..क्षमा कर दो
सामाजिक व्यवहारिक कर्त्तव्य निभाया..क्षमा कर दो
अश्रु छिपे आँखों के अन्दर ढलके ठन्डे आंसू..क्षमा कर दो
वाणी ह्रदय बंद चेहरे पर दिख तो रही हंसी ..क्षमा कर दो
ये है नारी का जीवन अब इस से कम क्या ..क्षमा कर दो
क्षमा कर दो ..क्षमा कर दो ...क्षमा कर दो

2 comments:

  1. वाह, बेहतरीन प्रस्तुति|
    बहुत शानदार|
    इसी प्रकार लिखती रहें|

    आभार आपका...

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  2. आप मेरे ब्लाग पर एक सहयोगी के रूप में भी सदर आमंत्रित है
    बेटियों को बचाने के सार्थक प्रयासों का मेरे ब्लॉग पर हार्दिक स्वागत है

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